हाल के वर्षों में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर सक्रियता बढ़ी है — व्यक्तियों ने समाचार, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक आंदोलन की जानकारी के लिए इन्हें मुख्य स्रोत बनाना शुरू कर दिया है। छोटे व्यवसाय अपने ग्राहकों तक सीधे पहुंच रहे हैं, जबकि प्रभावितकर्ता (influencers) नई अर्थव्यवस्थाएँ बना रहे हैं। वहीं गलत जानकारी, घुसपैठ और साइबर धमकियों की घटनाएँ भी बढ़ी दिख रही हैं।

एक डिजिटल-संवेदनशीलता विशेषज्ञ का कहना है: “सोशल मीडिया की शक्ति दो-काँटी तलवार की तरह है — यह आवाज़ देती है पर नियंत्रित न होने पर नुकसान भी पहुंचा सकती है।”
सोशल मीडिया के फायदे (लाभ)
-
तुरन्त जानकारी व जागरूकता: समाचार, आपातकालीन सूचनाएँ और सार्वजनिक घोषणाएँ तेजी से फैलती हैं।
-
कनेक्टिविटी और नेटवर्किंग: दूर-दराज के लोगों से जुड़ना, पेशेवर नेटवर्क बनाना और समुदाय बनाना आसान हुआ।
-
व्यापार व रोज़गार के अवसर: छोटे व्यापार, फ्रीलांसर और क्रिएटर्स को सीधे ग्राहक/दर्शक मिलते हैं।
-
शिक्षा व संसाधनों तक पहुँच: मुफ़्त ट्यूटोरियल, कोर्स और ज्ञान-साझा करने के अवसर बढ़े।
-
सामाजिक आन्दोलन व आवाज़ उठाना: लोकल मुद्दों से लेकर वैश्विक हेट-क्राइम विरोध तक, सोशल मीडिया ने आंदोलन तेज किए।
सोशल मीडिया के नुकसान (हानि)
-
गलत सूचना (मिसइन्फो/डिसइन्फो): बिना जाँच खबरें तेज़ी से फैलती हैं, जिसका सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव भारी हो सकता है।
-
मानसिक स्वास्थ्य पर असर: तुलना की संस्कृति, नफरत भरे कमेंट, फ़ोमो (FOMO) और अकेलेपन की भावना बढ़ सकती है।
-
प्राइवेसी व डेटा जोखिम: व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग, ट्रैकिंग और डेटा लीक की घटनाएँ।
-
साइबरबुलिंग व ऑनलाइन उत्पीड़न: खासकर किशोरों व संवेदनशील समूहों पर लगातार नकारात्मक असर।
-
इको-चैंबर और ध्रुवीकरण: उपयोगकर्ता उसी तरह की जानकारी देखते-देखते अलग विचारों से कट जाते हैं, जिससे सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ता है।
कैसे संतुलन बनाएँ — सुझाव और समाधान
-
सोच-समझकर साझा करें: किसी भी खबर को शेयर करने से पहले स्रोत और सटीकता जांचें।
-
डिजिटल स्वास्थ्य की आदतें अपनाएँ: स्क्रीन टाइम सीमित करें, निष्क्रिय स्क्रॉलिंग कम करें, और समय-समय पर ऑफ-लाइन ब्रेक लें।
-
प्राइवेसी सेटिंग्स अपडेट रखें: प्रोफाइल की गोपनीयता और अनावश्यक ऐप अनुमतियाँ जांचें।
-
सकारात्मक कंटेंट का समर्थन करें: भरोसेमंद स्रोतों, स्थानीय संस्थाओं और सकारात्मक अभियानों को बढ़ावा दें।
-
शिक्षा और साक्षरता: स्कूलों व समुदायों में डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चलाएँ ताकि लोग फेक न्यूज़ और स्कैम पहचान सकें।
-
प्लेटफ़ॉर्म जवाबदेही: कंपनियों से अधिक पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने वाले तंत्र विकसित करने की माँग कर

