हर सुबह जब हम अपनी आँखें खोलते हैं, तो एक नया दिन हमारा इंतज़ार कर रहा होता है। यह दिन कैसा होगा, कौन सी घटनाएँ घटेंगी, कौन मुस्कुराएगा और कौन रोएगा — यह किसी को नहीं पता। पर इतना ज़रूर है कि हर दिन अपने भीतर एक पूरी कहानी समेटे होता है।

जब सूरज उगता है, तो किसी घर में नई ज़िंदगी जन्म लेती है, किसी की गोद में पहला नन्हा मुस्कान भर देता है, तो कहीं किसी बुज़ुर्ग की सांसें थम जाती हैं और एक परिवार की आँखों में आँसू भर जाते हैं।
कहीं कोई नया जोड़ा विवाह के बंधन में बंधता है, तो कहीं कोई पुरानी यादों को सीने में दबाए अकेला बैठा होता है।
कहीं किसी विद्यार्थी को उसकी मेहनत का फल नौकरी के रूप में मिलता है, तो वहीं कोई रिटायर होकर अपने जीवन की नई यात्रा शुरू करता है।

एक दिन किसी के लिए खुशियों की सौगात लाता है, तो किसी के लिए परीक्षा का कठिन समय।
कहीं कोई अदालत की कुर्सी पर बैठा फैसला सुनता है, तो कहीं कोई अस्पताल की बेंच पर अपने मरीज के ठीक होने की दुआ करता है।
किसी के दिल में उस दिन प्रेम का सागर उमड़ पड़ता है, तो किसी के मन में नफरत का तूफ़ान।
और बहुतों के लिए वो दिन साधारण सा गुजर जाता है — जैसे कल बीता था, वैसे ही आज भी बीत गया।
जब रात होती है और हम अपने बिस्तर पर लौटते हैं, तो यह दिन का अंत नहीं बल्कि जीवन की डायरी का एक और पन्ना पूरा होता है।
हम थके हुए शरीर और उम्मीदों से भरे मन के साथ नींद में खो जाते हैं — इस उम्मीद में कि कल फिर एक नया दिन आएगा, जो शायद कुछ और अच्छा लेकर आए।
असल में, ज़िंदगी इन्हीं छोटे-छोटे दिनों का जोड़ है।
कुछ दिन हमें खुशी देते हैं, कुछ दुख सिखाते हैं, और कुछ हमें इतना बदल देते हैं कि हम पहले जैसे नहीं रहते।
अगर हर दिन समान हो तो शायद ज़िंदगी बेरंग हो जाए, पर इन दिनों की खट्टी-मीठी घटनाएँ ही उसे जीने लायक बनाती हैं।
UPENDRA PANWAR
