उत्तराखंड में रहस्यमयी बुखार: अल्मोड़ा और हरिद्वार में 15 दिनों में 10 मौतें

कुल मृत्यु और प्रभावित क्षेत्र
- अल्मोड़ा जिला (धौलादेवी ब्लॉक) में पिछले 15–20 दिनों में 7 लोगों का निधन हुआ। ये सभी तेज बुखार और प्लेटलेट्स में कमी जैसी लक्षणों से पीड़ित थे.
- हरिद्वार जिला (रुड़की/रूमके क्षेत्र) में इसी अवधि में 3 मौतें हुईं, संदेह है कि ये भी वायरल संक्रमण के कारण हुई हैं.
प्रमुख लक्षण और प्रारंभिक जांच
- लक्षण: सभी मरीजों में तेज बुखार, कमजोरी और प्लेटलेट काउंट में तेज गिरावट (कुछ मामलों में 27,000–30,000 तक) देखी गई.
- जांच: स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित मरीजों के रक्त नमूने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को भेजे ताकि वायरल या अन्य संक्रमणों की पुष्टि की जा सके.
संभावित कारण और प्रारंभिक निष्कर्ष
- वायरल संक्रमण: प्रारंभिक आकलन के अनुसार बुखार संक्रमण से संबंधित हो सकता है, लेकिन सभी मौतें एक ही वायरस से नहीं जुड़ीं — कुछ वृद्ध रोगियों की मौत आयुजन्य कारकों के कारण हुई.
- डेंगू की आशंका: स्थानीय लोग यह मान रहे हैं कि रक्त में प्लेटलेट गिरावट डेंगू से है, हालांकि सरकारी बयान के अनुसार केवल कुछ मामलों में ही पुष्टि हुई है.
- ताइफाइड / जलजनित संक्रमण: अल्मोड़ा के कुछ गाँवों में पानी में कोलिफ़ॉर्म बैक्टीरिया पाए गए; वहीं कुछ नमूनों में ताइफाइड संकेत मिले हैं.

👥 स्थानीय लोगों की चिंताएँ
- पोस्टमार्टम का अभाव: कई मृतकों का पोस्टमार्टम न होने पर नाराज़गी है, जिससे मौत का सटीक कारण ज्ञात नहीं हो पा रहा.
- पानी संबंधी समस्याएँ: भंगुर जल आपूर्ति प्रणाली, दूषित पानी और पाइपलाइन में लीकेज जैसी समस्याओं के प्रति ग्रामीणों में असंतोष है.
- स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
- जांच आदेश: स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने अल्मोड़ा व हरिद्वार के सीएमओ को त्वरित जांच एवं स्थान पर चिकित्सा अभियान चलाने के आदेश दिए हैं.
- स्वास्थ्य शिविर: प्रभावित आस-पास के गाँवों में 16 स्वास्थ्य टीमों द्वारा स्क्रीनिंग, परिवहन, नमूना संग्रह और उपचार शुरू कर दिया गया.
- पानी की सफाई: जलाशयों की क्लोरीनेशन, नल-टैंकों की सफ़ाई और सलाह दी गई कि लोग केवल उबला या शुद्ध पानी पिएं.
आगे की सम्भावनाएँ और सुझाव
- मौसमी वायरल फीवर: अधिकारी इसे “मौसमी वायरल बुखार” मान रहे हैं, जिसे ठंड का मौसम स्वाभाविक रूप से समाप्त कर सकता है.
- निगरानी और पानी सुधार: निरंतर निगरानी और जल प्रबंधन प्रणाली की मरम्मत इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में यह “रहस्यमयी बुखार” मामला एक मिश्रित स्वास्थ्य संकट के रूप में सामने आया है, जहाँ वायरल फीवर, पानी की दूषितता और सिस्टम की खामियों का समन्वित प्रभाव देखा गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदम उचित हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट और वैज्ञानिक पुष्टि के बिना स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सकती।
