खिड़की केवल ईंट-पत्थरों के बीच बना एक छेद नहीं है, यह जीवन का दर्पण भी है। खिड़की के बाहर देखने पर सब कुछ सहज और सुंदर प्रतीत होता है, परंतु उसी खिड़की के भीतर झांकने पर जीवन के असंख्य संघर्ष और वास्तविकताएँ दिखाई देती हैं। किसी परिवार की गरीबी और कठिनाइयाँ अक्सर इस खिड़की के भीतर छिपी होती हैं। बाहर से देखने वाला व्यक्ति सोचता है कि सब कुछ ठीक है, परंतु दीवारों के बीच सिमटे उस छोटे से संसार में कितनी पीड़ाएँ और कितनी मजबूरियाँ पल रही हैं, यह वही जान सकता है जो भीतर रहता है।

प्रत्येक सुबह जब खिड़की से सूरज की किरणें भीतर प्रवेश करती हैं, तो यह प्रतीत होता है कि प्रकृति के समक्ष सब समान हैं। अमीरी-गरीबी, सुख-दुख का भेद उस प्रकाश में मिट जाता है। खिड़की हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में उजाले की एक किरण ही आशा को जीवित रखती है। खिड़की के बाहर अपार दुनिया फैली है। वहाँ अजनबी लोग हैं, अनंत संभावनाएँ हैं। वहीं खिड़की के भीतर अपना घर, अपने लोग और अपनापन है। यही द्वैत जीवन की सच्चाई है।

कितनी बार लोग खिड़की पर बैठकर गहन चिंतन में डूब जाते हैं—न जाने कितने प्रश्न, कितनी जिज्ञासाएँ और कितनी उलझनें खिड़की से बाहर झांकते हुए मन में उठती हैं। प्रेमी-युगल की दुनिया में भी खिड़की का विशेष महत्व है। कितने प्रेमी अपनी प्रेमिका की एक झलक खिड़की पर पाने के लिए आतुर रहते हैं, और वही एक क्षण उनके पूरे दिन को सुखमय बना देता है।
इस प्रकार, खिड़की केवल लकड़ी या लोहे का बना हुआ ढांचा नहीं है। यह जीवन की झलक है—कभी संघर्ष का दर्पण, कभी आशा का प्रतीक, कभी प्रेम का संदेश और कभी आत्मचिंतन का साधन। खिड़की से आती रोशनी हमें याद दिलाती है कि अंधकार चाहे जितना गहरा हो, उजाला हमेशा रास्ता खोज ही लेता है।

