उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत विवाह पंजीकरण की समय सीमा को बढ़ाकर एक साल कर दिया है। इसके अलावा, विधेयक में दंड के प्रावधान भी जोड़े गए हैं ताकि लोग इसका गंभीरता से पालन करें। यह निर्णय उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जिन्होंने अभी तक किसी कारणवश अपना विवाह पंजीकृत नहीं कराया था।
विवाह पंजीकरण की बढ़ी हुई समय सीमा 🗓️
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया था। पहले यह समय सीमा 6 महीने थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 1 साल कर दिया गया है। इसका उद्देश्य लोगों को पर्याप्त समय देना है ताकि वे आसानी से अपने विवाह का पंजीकरण करा सकें। यह फैसला विशेष रूप से उन ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है, जहाँ दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह विस्तारित समय सीमा केवल उन विवाहों पर लागू होती है जो यूसीसी लागू होने से पहले हुए थे। यूसीसी के लागू होने के बाद होने वाले विवाहों के लिए पंजीकरण की समय सीमा 60 दिन ही रहेगी।
जुड़े नए दंड प्रावधान ⚖️
विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, यूसीसी में कुछ दंड प्रावधान भी जोड़े गए हैं। इन प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग कानून का पालन करें और विवाह पंजीकरण में लापरवाही न करें। जुर्माना: अगर कोई व्यक्ति विवाह का पंजीकरण कराने में विफल रहता है, तो उस पर ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अन्य प्रावधान: जानबूझकर गलत जानकारी देने पर ₹25,000 का जुर्माना और तीन महीने तक की जेल का प्रावधान है। सरकारी लाभों पर रोक: जिन लोगों ने अपना विवाह पंजीकृत नहीं कराया है, उन्हें कुछ सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ लेने से रोका जा सकता है। ये दंड प्रावधान विवाह और पारिवारिक मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए लाए गए हैं, जिससे समाज में एकरूपता और महिलाओं को समान अधिकार मिल सके। सीमा को बढ़ाकर एक साल कर दिया है। इसके अलावा, विधेयक में दंड के प्रावधान भी जोड़े गए हैं ताकि लोग इसका गंभीरता से पालन करें। यह निर्णय उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जिन्होंने अभी तक किसी कारणवश अपना विवाह पंजीकृत नहीं कराया था।