slot 1000 togel online slot toto toto slot mahjong ways agen gacor toto slot gacor agen gacor situs toto Sv388 slot pulsa agen slot apo388 sv388 slot toto slot deposit 1000
योद्धाओं की परंपरा से जुड़ा है कुमाऊँ का छोलिया नृत्य -

छोलिया नृत्य: कुमाऊँ की सांस्कृतिक पहचान

छोलिया नृत्य, उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र का एक बेहद पुराना, लोकप्रिय और ओजपूर्ण लोक नृत्य है. यह नृत्य कुमाऊँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शौर्यपूर्ण परंपराओं का एक जीवंत प्रतीक है. यह सिर्फ एक नृत्य नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के इतिहास, रीति-रिवाजों और लोक-विश्वासों का भी दर्पण है.

 

उद्भव और ऐतिहासिक महत्व

छोलिया नृत्य का उद्भव प्राचीन युद्ध कलाओं और राजपूत योद्धाओं की परंपरा से जुड़ा हुआ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि पुराने समय में युद्ध में जाने से पहले या युद्ध के बाद अपनी विजय का जश्न मनाने के लिए यह नृत्य किया जाता था. इसमें तलवार और ढाल के साथ युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया जाता है, जो इसे अन्य लोक नृत्यों से अलग और विशेष बनाता है. विवाह समारोहों में इस नृत्य की प्रस्तुति दूल्हे की बारात के साथ होती है, जहाँ यह समृद्धि, शौर्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है. नृत्य शैली और वेशभूषा छोलिया नृत्य में नर्तक पारंपरिक कुमाऊँनी वेशभूषा पहनते हैं. इसमें आमतौर पर एक रंगीन चोला (अंगरखा), चूड़ीदार पजामा, और सिर पर एक विशेष पगड़ी शामिल होती है, जिसे अक्सर पंखों से सजाया जाता है. नर्तक एक हाथ में ढाल और दूसरे हाथ में तलवार लिए होते हैं. उनका नृत्य युद्ध की मुद्राओं, छलांगों और तलवार के करतबों से भरा होता है.

यह नृत्य समूह में किया जाता है, जिसमें नर्तकों की संख्या 6 से 22 तक हो सकती है. नृत्य के दौरान वे विशेष प्रकार की चालें चलते हैं और एक-दूसरे के साथ नकली युद्ध का प्रदर्शन करते हैं. वाद्य यंत्रछोलिया नृत्य की धुनें इसे और भी प्रभावशाली बनाती हैं. इस नृत्य में मुख्य रूप से पारंपरिक कुमाऊँनी वाद्य यंत्रों का प्रयोग होता है, जिनमें शामिल हैं:

रणसिंघा: यह एक लंबा, घुमावदार तुरही जैसा वाद्य यंत्र है, जो युद्ध की घोषणा जैसा स्वर उत्पन्न करता है.

  • भेरी: यह भी एक प्रकार का तुरही जैसा वाद्य यंत्र है.
  • ढोल: यह एक बड़ा ड्रम है जो नृत्य को लय प्रदान करता है.
  • दमाऊ: यह भी एक प्रकार का ड्रम है, जिसकी ध्वनि ढोल से थोड़ी अलग होती है.
  • तुरही: यह एक और हवा से बजने वाला वाद्य यंत्र है.
  • मशकबीन: स्कॉटिश बैगपाइप जैसा यह वाद्य यंत्र अब छोलिया का एक अभिन्न अंग बन गया है. इन वाद्य यंत्रों की ध्वनि और नर्तकों के जोशीले प्रदर्शन से एक ऐसा माहौल बनता है जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है.

 

वर्तमान परिदृश्य आज भी छोलिया नृत्य कुमाऊँ के विवाह समारोहों, त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक अनिवार्य हिस्सा है. यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों और परंपराओं से जोड़े रखने में भी मदद करता है. हालांकि, आधुनिकता के इस दौर में इस कला रूप को संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इसकी गौरवशाली परंपरा सदियों तक जीवित रहे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *