खैट पर्वत (जिसे खेत पर्वत भी कहा जाता है) उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के टिहरी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध और रहस्यमयी पर्वत है. यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और लोककथाओं के लिए जाना जाता है, खासकर इसे “परियों का देश” या “परियों का लोक” भी कहा जाता है.
खैट पर्वत का परिचय
खैट पर्वत समुद्र तल से लगभग 10,500 से 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह एक गुंबद के आकार की चोटी है जो दूर से ही बेहद खूबसूरत दिखाई देती है. इसके चारों ओर मखमली घास के मैदान और हिमालय की मनमोहक चोटियों के दृश्य दिखाई देते हैं. इसके चरणों को छूती हुई भिलंगना नदी बहती है, जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देती है.
रहस्य और लोककथाएं
खैट पर्वत को लेकर कई रहस्यमयी कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है परियों का निवास.
- परियों का निवास: स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पर्वत पर नौ ‘आंछरियां’ (जिन्हें परियां या वनदेवियां भी कहते हैं) निवास करती हैं. इन्हें नौ देवियों का रूप माना जाता है जो अदृश्य शक्तियों के रूप में यहां विचरण करती हैं. कई लोग आज भी यहां परियों और वनदेवियों को देखने का दावा करते हैं.
- रक्षा करने वाली परियां: यह भी माना जाता है कि ये परियां आस-पास के गांवों और लोगों की रक्षा करती हैं. गांव वाले इन परियों की पूजा-अर्चना भी करते हैं.
- शांत रहने का महत्व: एक मान्यता यह भी है कि इस पर्वत पर आकर जो लोग शोर करते हैं, परियां उन्हें मूर्छित कर सकती हैं या अपने साथ ले जा सकती हैं. इसलिए, यहां शांति बनाए रखने की सलाह दी जाती है.
- अखंड फूल: कहा जाता है कि खैट पर्वत पर पूरे साल फल आते हैं और फूल खिले रहते हैं. एक आश्चर्यजनक बात यह है कि अगर इन फूलों को पर्वत से दूर ले जाया जाए तो वे कुछ ही देर में सूख जाते हैं.
- राजा आशा रावत की नौ बेटियां: एक लोककथा के अनुसार, राजा आशा रावत की नौ बेटियां परियों के रूप में खैट पर्वत पर घूमती हैं. उत्तराखंड में जब कुल देवता को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि होती है, तब इन परी बेटियों की कहानी भी सुनाई जाती है.
- खैटखाल मंदिर: थात गांव से लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर खैटखाल नाम का एक मंदिर है, जिसे यहां के रहस्यों का केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि रात को परियां इस मंदिर में पूजा करने आती हैं.
पर्यटन और यात्रा
खैट पर्वत प्रकृति प्रेमियों और रोमांच चाहने वालों के लिए एक आकर्षक गंतव्य है.
- पहुंचने का तरीका: खैट पर्वत तक पहुंचने के लिए उत्तराखंड के ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा गढ़वाल क्षेत्र के थात गांव तक पहुंचा जा सकता है. थात गांव से खैट पर्वत की चोटी तक पहुंचने के लिए लगभग 5-6 किलोमीटर की पैदल ट्रेकिंग करनी पड़ती है. यह ट्रेकिंग मार्ग बेहद खूबसूरत दृश्यों से भरपूर है.
- पर्यटन क्षमता: खैट पर्वत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक इसे पर्यटन मानचित्र पर उतना स्थान नहीं मिल पाया है. यहां के मनमोहक दृश्य, प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमयी लोककथाएं पर्यटकों को आकर्षित कर सकती हैं.
कृषि
पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि थोड़ी चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन खैट पर्वत के आसपास के क्षेत्रों में भी खेती की जाती है. पहाड़ों पर छोटे-छोटे खेत होते हैं, जिनमें अक्सर ढलानों पर खेती होती है. यहां मुख्य रूप से उन फसलों की खेती की जाती है जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है, जैसे गेहूं, चना, मंडुआ, चौलाई, राजमा, मक्का और दालें. कुछ किसान पोर्टेबल पॉली हाउस का भी उपयोग कर रहे हैं ताकि बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सके.
कुल मिलाकर, खैट पर्वत उत्तराखंड का एक अनमोल रत्न है जो अपनी प्राकृतिक भव्यता, शांति और रहस्यमयी लोककथाओं के लिए जाना जाता है.
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