slot 1000 togel online slot toto toto slot mahjong ways agen gacor toto slot gacor agen gacor situs toto Sv388 slot pulsa agen slot apo388 sv388 slot toto slot deposit 1000
बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी झील है कागभुसुंडी ताल -

बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी झील है कागभुसुंडी ताल

कागभुसुंडी ताल, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी झील है. यह गढ़वाल हिमालय की नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 5,230 मीटर (17,159 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. अपनी पन्ना जैसी हरी-भरी पानी और चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियों के मनोरम दृश्यों के लिए यह एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग गंतव्य है.

कागभुसुंडी ताल के बारे में मुख्य बातें:

स्थान और ऊंचाई: यह उत्तराखंड के चमोली जिले में हाथी पर्वत के तल पर स्थित है. इसकी ऊंचाई लगभग 5,230 मीटर है. प्राकृतिक सौंदर्य: झील अपने हरे-भरे पानी के लिए जानी जाती है, जो आसपास के हरे-भरे घास के मैदानों, अल्पाइन फूलों और बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी हुई है. यहां ब्रह्म कमल और फेन कमल जैसे विभिन्न हिमालयी फूल खिलते हैं, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देते हैं. ट्रेकिंग: कागभुसुंडी ताल की यात्रा को मध्यम से कठिन श्रेणी का ट्रेक माना जाता है. इसमें खड़ी चढ़ाई, चट्टानी इलाके और ग्लेशियरों को पार करना शामिल है. यह लगभग 60-65 किलोमीटर का ट्रेक है और इसे पूरा करने में 7-10 दिन लग सकते हैं.

  • पहुंचने का मार्ग: इस तक पहुंचने के लिए मुख्य रूप से दो मार्ग हैं:

यह मार्ग थोड़ा आसान है लेकिन लंबा है. यह मार्ग अधिक खड़ी चढ़ाई वाला है. जोशीमठ इस ट्रेक के लिए एक महत्वपूर्ण बेस है. जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर का महीना इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और फूलों की बहार होती है.

  • पौराणिक महत्व:
    • कौवे और गरुड़ की कथा: स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, झील के पास हाथी पर्वत पर दो बड़ी चट्टानें हैं जिन्हें कौवा (काग) और गरुड़ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि ये दोनों ब्रह्मांड के मामलों पर गहन चर्चा कर रहे हैं.
    • ऋषि काकभुशुंडि: एक और कथा के अनुसार, अयोध्या के एक विद्वान ब्राह्मण को ऋषि लोमश के श्राप के कारण कौवा बना दिया गया था, और उन्होंने इसी स्थान पर गरुड़ को रामायण की कथा सुनाई थी.
    • कौवों का अंतिम स्थान: कुछ स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि कौवे अपने अंतिम समय में इस झील में मरने के लिए आते हैं, ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके. झील के आसपास कौवों के पंख देखे जा सकते हैं, लेकिन किसी को भी उन्हें मरते हुए नहीं देखा गया है.

ट्रेक के दौरान देखने योग्य चोटियाँ:

ट्रेक के दौरान आपको नीलकंठ, चौखम्बा, थैल्या सागर, भृगुपंथ और नर-नारायण जैसी राजसी हिमालयी चोटियों के शानदार दृश्य देखने को मिलेंगे.

बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी झील है कागभुसुंडी ताल

कागभुसुंडी ताल, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी झील है. यह गढ़वाल हिमालय की नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 5,230 मीटर (17,159 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. अपनी पन्ना जैसी हरी-भरी पानी और चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियों के मनोरम दृश्यों के लिए यह एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग गंतव्य है.

कागभुसुंडी ताल के बारे में मुख्य बातें:

स्थान और ऊंचाई: यह उत्तराखंड के चमोली जिले में हाथी पर्वत के तल पर स्थित है. इसकी ऊंचाई लगभग 5,230 मीटर है. प्राकृतिक सौंदर्य: झील अपने हरे-भरे पानी के लिए जानी जाती है, जो आसपास के हरे-भरे घास के मैदानों, अल्पाइन फूलों और बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी हुई है. यहां ब्रह्म कमल और फेन कमल जैसे विभिन्न हिमालयी फूल खिलते हैं, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देते हैं. ट्रेकिंग: कागभुसुंडी ताल की यात्रा को मध्यम से कठिन श्रेणी का ट्रेक माना जाता है. इसमें खड़ी चढ़ाई, चट्टानी इलाके और ग्लेशियरों को पार करना शामिल है. यह लगभग 60-65 किलोमीटर का ट्रेक है और इसे पूरा करने में 7-10 दिन लग सकते हैं.

  • पहुंचने का मार्ग: इस तक पहुंचने के लिए मुख्य रूप से दो मार्ग हैं:

यह मार्ग थोड़ा आसान है लेकिन लंबा है. यह मार्ग अधिक खड़ी चढ़ाई वाला है. जोशीमठ इस ट्रेक के लिए एक महत्वपूर्ण बेस है. जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर का महीना इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और फूलों की बहार होती है.

  • पौराणिक महत्व:
    • कौवे और गरुड़ की कथा: स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, झील के पास हाथी पर्वत पर दो बड़ी चट्टानें हैं जिन्हें कौवा (काग) और गरुड़ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि ये दोनों ब्रह्मांड के मामलों पर गहन चर्चा कर रहे हैं.
    • ऋषि काकभुशुंडि: एक और कथा के अनुसार, अयोध्या के एक विद्वान ब्राह्मण को ऋषि लोमश के श्राप के कारण कौवा बना दिया गया था, और उन्होंने इसी स्थान पर गरुड़ को रामायण की कथा सुनाई थी.
    • कौवों का अंतिम स्थान: कुछ स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि कौवे अपने अंतिम समय में इस झील में मरने के लिए आते हैं, ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके. झील के आसपास कौवों के पंख देखे जा सकते हैं, लेकिन किसी को भी उन्हें मरते हुए नहीं देखा गया है.

ट्रेक के दौरान देखने योग्य चोटियाँ:

ट्रेक के दौरान आपको नीलकंठ, चौखम्बा, थैल्या सागर, भृगुपंथ और नर-नारायण जैसी राजसी हिमालयी चोटियों के शानदार दृश्य देखने को मिलेंगे.

UPENDRA PANWAR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *