लक्ष्मण झूला ऋषिकेश का एक बहुत ही प्रसिद्ध और ऐतिहासिक पुल है, जो गंगा नदी पर बना हुआ है. यहाँ उसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
इतिहास और धार्मिक महत्व
पौराणिक कथा: माना जाता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था. इसी वजह से इस पुल का नाम “लक्ष्मण झूला” पड़ा. यह हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थान माना जाता है.
निर्माण:
सबसे पहले, 1889 में जूट की रस्सियों से एक झूलता हुआ पुल बनाया गया था. यह पुल 1924 की भीषण बाढ़ में बह गया था. इसके बाद, 1927 में ब्रिटिश सरकार ने लोहे के तारों से एक नया सस्पेंशन ब्रिज बनाना शुरू किया, जो 11 अप्रैल 1930 को जनता के लिए खोला गया. इस पुल के निर्माण का खर्च राय बहादुर शिवप्रसाद तुलशान ने अपने पिता राय बहादुर सूरजमल झुंझुनवाला की याद में दिया था.
पुल की बनावट और वर्तमान स्थिति
लंबाई और ऊंचाई: यह पुल लगभग 450 फीट (140 मीटर) लंबा है और गंगा नदी के ऊपर लगभग 70 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. कनेक्टिविटी: यह ऋषिकेश के दो किनारों, यानी टिहरी गढ़वाल जिले के तपोवन गांव और पौड़ी गढ़वाल जिले के जौंक गांव को जोड़ता है. सुरक्षा कारणों से बंद: लक्ष्मण झूला अपनी पुरानी संरचना और लगातार बढ़ते भार के कारण सुरक्षा चिंताओं के चलते जुलाई 2019 से स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. यह अब पैदल यात्रियों और वाहनों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके समानांतर एक नया पुल बनाया जा रहा है.
आस-पास के आकर्षण
भले ही लक्ष्मण झूला पर चलना अब संभव न हो, फिर भी इसके आसपास कई ऐसे स्थान हैं जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं: लक्ष्मण मंदिर: पुल के पश्चिमी किनारे पर भगवान लक्ष्मण को समर्पित एक छोटा मंदिर है. राम झूला लक्ष्मण झूले से लगभग 2 किलोमीटर आगे गंगा नदी पर एक और प्रसिद्ध सस्पेंशन ब्रिज है, जिसका नाम राम झूला है. यह अभी भी उपयोग में है और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है. त्रिवेणी घाट: यह गंगा आरती के लिए एक पवित्र स्थान है, जहाँ शाम को भव्य आरती होती है. बीटल्स आश्रम (चौरासी कुटिया): यह एक प्रसिद्ध आश्रम है जहाँ 1968 में द बीटल्स बैंड के सदस्य रुके थे. आश्रम और योग केंद्र: लक्ष्मण झूले के आसपास कई प्रसिद्ध आश्रम और योग केंद्र हैं जैसे परमार्थ निकेतन और स्वर्ग आश्रम, जो योग और ध्यान के लिए जाने जाते हैं स्थानीय बाजार: पुल के दोनों किनारों पर दुकानें हैं जहाँ हस्तशिल्प, धार्मिक वस्तुएँ, किताबें और स्थानीय व्यंजन मिलते हैं.
घूमने का सबसे अच्छा समय
ऋषिकेश घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई तक है, जब मौसम सुहावना और आरामदायक होता है. मानसून के मौसम (जुलाई से सितंबर) में गंगा नदी में पानी बढ़ जाता है और पुल फिसलन भरा हो सकता है, इसलिए इस समय यात्रा से बचना चाहिए. अगर आप ऋषिकेश जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आप राम झूला और आसपास के अन्य स्थानों का भ्रमण कर सकते हैं.