उत्तराखंड: धराली गांव के पास बनी अस्थायी झील, बढ़ा खतरा
उत्तराखंड के धराली गांव के पास बादल फटने से आई भीषण तबाही के बाद अब एक नया खतरा सामने आया है. भागीरथी नदी पर मलबा जमा होने से एक विशाल अस्थायी झील बन गई है, जिससे आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई है. इस झील ने न सिर्फ हर्षिल घाटी का भूगोल बदल दिया है, बल्कि यहां के निवासियों और सेना के जवानों के लिए भी एक नया संकट खड़ा कर दिया है.
तबाही के बाद नया संकट
बीते दिनों धराली में बादल फटने से खीरगंगा नाले में भारी मात्रा में मलबा आया, जिसने भागीरथी नदी के बहाव को रोक दिया. इस मलबे के कारण ही हर्षिल में एक बड़ी झील बन गई है. इस झील का पानी इतना बढ़ गया है कि हर्षिल का हेलीपैड पूरी तरह से जलमग्न हो गया है और अब वहां सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. यह स्थिति 2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिला रही है, जब चौराबाड़ी झील के फटने से भयंकर तबाही मची थी.
क्या है मौजूदा स्थिति?
फिलहाल, इस झील पर सिंचाई विभाग और विशेषज्ञ लगातार नजर बनाए हुए हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि झील के किनारों से पानी धीरे-धीरे निकल रहा है, इसलिए तत्काल कोई बड़ा खतरा नहीं है. हालांकि, भारी मात्रा में पानी जमा होने और कभी भी बांध के टूटने की आशंका ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. इस आपदा से धराली और हर्षिल के बीच का गंगोत्री हाईवे भी पूरी तरह से बह गया है, जिससे आवागमन ठप हो गया है. सेना और NDRF की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं, जिसमें सेना के 9 जवान भी शामिल हैं. मलबा हटाने और रास्ता खोलने का काम भी तेजी से चल रहा है. यह आपदा दिखाती है कि हिमालयी क्षेत्र में कुदरत का गुस्सा कितना भयानक हो सकता है. धराली की यह घटना हमें चेतावनी दे रही है कि ऐसे नाजुक इलाकों में विकास और सुरक्षा दोनों को साथ लेकर चलना कितना जरूरी है.